गुहियापाल पंचायत अंतर्गत बाकदहो गांव में पूंजी गई करमा पूजा।
शनिवार को धूमधाम से करमा पूजा मनाया गया। आदिवासी,मुंडारी,कुड़मी तथा अन्य समाज के लोग इस त्योहार को धूमधाम से मनाते हैं। करम पर्व बंगाली आसीन महीने की शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाया जाता हैं परंतु इसके विधि-विधान से पांच दिन पहले से शुरू हो जाती है। सभी समुदाय के लोग करम देव से अच्छे फसल की कामना करते हैं और बहनें अपने भाइयों की सलामती के लिए प्रार्थना करती हैं। इस दरम्यान पूजा करने वाले लोग तालाब तथा नदी से बांस के बनी डाला में बालू उठाकर विधि-विधान के साथ पूजा कराने के बाद करम डाली ले कर आये ओर पूजास्थल पर स्थापित किया गया। देर शाम पाहन अखरा में करम-धरम की कथा सुनाए। इस दौरान नृत्य संगीत का वातावरण रहा। रात भर करम डाली के पास पूजा-अर्चना की गई।इस दौरान रात भर करम लोकनृत्य व संगीत का दौर चलता रहा। युवा वर्ग मांदर की थाप पर जमकर नृत्य किए। पहान या प्रधान करम राजा की पूजा कराया गया। मान्यतानुसार कन्याएं भाइयों को जंगली घास की राखी बांधे। बताया गया कि रविवार की सुबह पास की नदी एवं तालाबों में करम राजा व जावा का विसर्जन किया जाएगा। इस करम पूजा को सफल बनाने में मुख्य रूप से शरोव मुंडा आदि शामिल मोजूद थे।
झारखंड आज तक
सुभम राणा
रिपोर्टर