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By Rupesh Sharma

एमजीएम अस्पताल, डिमना – मरीज से “भाई” कहने पर डॉक्टर का असंवेदनशील व्यवहार, मानवीय मूल्यों पर उठे सवाल

जमशेदपुर, दिनांक: 09 मई 2025
एमजीएम अस्पताल, डिमना स्थित आई डिपार्टमेंट में एक अप्रत्याशित व असंवेदनशील घटना सामने आई है, जिसने न केवल मरीजों की गरिमा को आहत किया है, बल्कि चिकित्सकीय पेशे के नैतिक मूल्यों पर भी गंभीर प्रश्नचिह्न खड़ा कर दिया है।

एक मरीज द्वारा चिकित्सक से साधारण मानवीय संबोधन “भाई” कहने पर डॉक्टर विकास ठाकुर, जिसकी उम्र लगभग 30 वर्ष बताई जा रही है, ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा – “सर या डॉक्टर बोलो, भाई नहीं। मैं तुमको भाई लगता हूँ?” इस प्रकार की प्रतिक्रिया न केवल असहज और अपमानजनक थी, बल्कि मरीज की भावनाओं पर भी कुठाराघात थी।

मानवता की बुनियादी भावना को ताक पर रखकर केवल डिग्री या पद के अहंकार में डॉक्टर द्वारा की गई यह टिप्पणी, एक गम्भीर चिंतन का विषय है। चिकित्सक जहाँ पीड़ित मानवता की सेवा में संकल्पित होते हैं, वहाँ इस प्रकार की संकीर्ण मानसिकता उनके प्रोफेशन की गरिमा को धूमिल करती है।

मानवीय एवं सामाजिक व्यवहार में ये बातें अवश्य होनी चाहिये कि:

अस्पताल प्रशासन इस प्रकरण की निष्पक्ष जांच करे।
संबंधित चिकित्सक को संवेदनशीलता और पेशेवर आचरण हेतु परामर्श व प्रशिक्षण प्रदान किया जाए।

मरीजों की गरिमा और आत्मसम्मान सुनिश्चित करने के लिए अस्पताल में व्यवहार संहिता लागू की जाए।

 

हम यह मानते हैं कि “डिग्री से बड़ा है मानवता का दर्जा”, और ऐसे किसी भी व्यवहार को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए जो चिकित्सा सेवा की मूल आत्मा को ठेस पहुंचाए।

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