कार्यपालक दंडाधिकारी, धालभूम अनुमंडल, जमशेदपुर के कार्यालय में शुक्रवार को जिला अग्रवाल सम्मेलन के मामले की सुनवाई हुई। जिसमें शिकायतकर्ता के अलावे विपक्षी क्रम संख्या 1) श्री सुशील कुमार अग्रवाल एवं 2) श्री संदीप मुरारका की उपस्थिति रही। श्री अभिषेक अग्रवाल गोल्डी अनुपस्थित थे।
श्री सुशील कुमार अग्रवाल ने अपना पक्ष रखते हुए बताया कि उनका मनोनयन राष्ट्रीय अध्यक्ष के द्वारा किया गया है। पूर्व जिला अध्यक्ष को राष्ट्रीय अध्यक्ष ने प्रदेश अध्यक्ष बना दिया था और वैसी स्थिति में जिला में कोई अध्यक्ष नहीं था। उन्होंने आगे यह भी स्पष्ट किया कि संविधान के अनुसार अगर मनोनयन गलत है, तो जिला में कराई गई चुनावी प्रक्रिया भी पूर्णतः अवैध है क्योंकि चुनाव पदाधिकारी नियुक्त करने का अधिकार प्रदेश अध्यक्ष का है जबकि झारखंड में इस समय कोई प्रदेश अध्यक्ष ही नहीं है।
संदीप मुरारका ने अपने बचाव में काफी कुछ अनर्गल बातें कर मुख्य मुद्दे से कार्यपालक दंडाधिकारी को भटकाने का प्रयास किया। उन्होंने शिकायतकर्ता धर्मचंद पोद्दार को निशाने पर लेते हुए व्यक्तिगत हमला करते हुए नीचा दिखाने का प्रयास किया जो अत्यंत ही शर्मनाक है। संदीप मुरारका 8 दिसंबर की आम सभा में बनाये हुए ट्रस्ट के ट्रस्टी सदस्यों का नाम बताने वाले थे, किंतु अपनी ही बातों से मुकरते हुए आज बताया कि कोई भी ट्रस्ट नहीं बनाया गया है। जबकि इनकम टैक्स के सर्टिफिकेट में डेट ऑफ बर्थ 14/03/2024 के बारे में कुछ नहीं बोल सके।
शिकायतकर्ता धर्म चंद्र पोद्दार ने आज की कार्रवाई पर कहा है कि यह अत्यंत ही दुखद स्थिति है कि अग्रवाल समाज में कुछ लोग सदैव पद पर रहना चाहते हैं। दृष्टव्य है कि यहां समाज सेवा नहीं बल्कि व्यापार हो गया है। इन लोगों की मंशा अच्छी नहीं है। यह अपने ही समाज के परिवार के लोगों को नीचा दिखाने का कुकृत्य कर रहे हैं। विभिन्न प्रकार से स्वयं एवं अपने ईस्ट मित्रों के द्वारा कई प्रकार की धमकियां तक दिलवा रहे हैं। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि राष्टीय अध्यक्ष द्वारा जिला अध्यक्ष का मनोनयन एवं जिला में चुनावी प्रक्रिया दोनों ही संविधानिक रूप से अवैध है और इसे निरस्त किया जाना चाहिए।
शिवात्मा तिवारी की रिपोर्ट