भुवनेश्वर भरतपुर पुलिस मामले में सुप्रीम कोर्ट स्वतः संज्ञान ले
जब जस्टिस ही टिप्पणी करें तो नागरिक कहां जाय
आईटी सेल की कार्रगुजारियों पर कार्रवाई हो
जमशेदपुर। ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर के भरतपुर थाना में सैन्य पदाधिकारी की मंगेतर के साथ हुई मारपीट एवं मॉलेस्टेशन की घटना पर माननीय सुप्रीम कोर्ट को स्वत संज्ञान लेना चाहिए।
शहर के अधिवक्ता एवं राष्ट्रीय सनातन सिख सभा के राष्ट्रीय संयोजक कुलविंदर सिंह ने सुप्रीम कोर्ट को ट्वीट किया है।
इस अधिवक्ता के अनुसार इस मामले में आरोपित पुलिस पदाधिकारी को तो जेल में होना चाहिए। मात्र निलंबन एवम सीआईडी जांच की मुख्यमंत्री की कार्रवाई तसल्लीबख्श नहीं है। क्या सीआईडी इसे तार्किक अंजाम तक पहुंचाएगी?
वही इस अधिवक्ता ने दुर्भाग्यजनक कहा है कि हर राजनीतिक दल के आईटी सेल द्वारा जाति, धर्म, भाषा, लिंग, पेशे के आधार पर टारगेट कर वातावरण को नफरती और विषाक्त बनाया जा रहा है, जिस पर अंकुश लगाने को कानूनी कार्रवाई जरूरी है। भुवनेश्वर प्रकरण धर्म से जुड़ा प्रतीत होता है अन्यथा पुलिस पदाधिकारी के हाथ पीड़िता के अंडरगारमेंट तक नहीं पहुंचते।
इस अधिवक्ता ने मुख्य न्यायधीश न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ से कर्नाटक हाई कोर्ट के उच्च न्यायाधीश के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है जिन्होंने भरी अदालत में महिला अधिवक्ता पर अश्लील एवं भद्दी टिप्पणी की है। जब न्यायमूर्ति इस तरह के टिप्पणी करें तो अन्य से क्या उम्मीद की जा सकती है